सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर हो सकती है 5 साल की सजा, देना होता है जुर्माना

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान सरकारी व प्राइवेट संपत्ति को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उत्तर पेदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों से बसों व गाड़ियों में आग लगाने के घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सबाल आता है कि ये लोग जो सार्वजनिक संपत्ति को चुकसान पहुंचाते हैं उनके खिलाफ क्या कार्रवाई कह जाती है या उन्हे क्या सजा दी जाती है। ऐसे लोगों से निपटने के लिए सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 बनाया गया है। आज हम आपको इसी कानून के बारे में बता रहे हैं।



ये है कानून
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे 5 साल तक की सजा या जुर्माने या फिर दोनों हो सकते हैं। सार्वजनिक संपत्ति के रूप में ऐसे भवन या संपत्ति को माना गया है जिसका उपयोग जल, प्रकाश, शक्ति या ऊर्जा उत्पादन या वितरण में किया जाता है। इसके साथ ही कोई तेल प्रतिष्ठान, सीवेरज, खान या कारखाना या फिर कोई लोक परिवहन या दूरसंचार साधन भी सार्वजनिक संपत्ति में आते हैं। वहीं अग्नि अथवा किसी विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को दस साल की सजा और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।



नुकसान की पूरी जिम्मेदारी आरोपी की
2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति के बढ़ते नुकसान की घटनाओं को देखते हुए स्वतः संज्ञान लिया था। इस कानून को और प्रभावकारी बनाने के लिये दो उच्च स्तरीय समितियां बनाई। 2009 में इन दोनों समितियों की महत्वपूर्ण सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिये दिशा निर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश में कहा सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर सारी जिम्मेदारी आरोपी पर होगी। और ऐसे मामलों में दंगाइयों से सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली की जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस दिशा निर्देश के अनुसार प्रूफ ऑफ बर्डन (Burden of Proof) आरोपी पर होगा अर्थात कोर्ट यह मानकर चलेगा कि नुकसान आरोपी ने किया है। आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होगा।



जल्द कार्रवाई न होना भी है इसका अहम कारण
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में दोषसिद्धि की दर 29.8 प्रतिशत है। 2017 के अंत तक के आंकड़ों की बात करें तो इस सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के 14 हजार से ज्यादा मामले विभिन्न अदालतों में लंबित थे। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तमिनलाडु ऐसे राज्य हैं, जहां पर इस तरह के सबसे ज्यादा मामले देखे गए हैं। इन राज्यों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कुल 6 हजार मामले सामने आए हैं।